Thursday, October 18, 2012

लोकप्रियता की बारिश हुई है तो हम भी नहायेंगे।


आज कल हर कोई भ्रष्टाचार से उब चूका है, लेकिन बहार निकल के आवाज़ उठाने में थोड़ी शर्म या फिर डर सा लग रहा है,  इसीलिए शायद केजरीवाल के कदमो को वाह वाह मिल रही है, क्यूँ की उसने उठाये कदमो को लोग अपना कदम मान के चल रहे है। केजरीवाल आजकल मीडिया में छाये हुए है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो सोचते है की बारिश हुई है तो हम भी नहायेंगे। एसे ही लोगो में आज नए महाशय बाहर आये है, लेकिन इस महाशय ने भ्रष्टाचार को छोड़ केजरीवाल  पे ही निशाना साधा है। इस महोदय का नाम है वाईपी सिंघ। यह महोदय पूर्व आईपिएस अधिकारी रह चुके है और फिल हाल वकालत कर रहे है । सिंघ का आरोप है की अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ नितिन गडकरी को ही निशाना बनाया लेकिन शरद पवार को छोड़ दिया।  सिंघ एक समय केजरीवाल के मित्र भी थे। आज सिंह ने   
      
एक प्रेसवार्ता  के दौरान यह खुलासा किया है। सिंह और उनकी पत्नी आभा सिंघ ने मिल के भ्रष्टाचार को 
दूर रखा लेकिन सीधा निसाना साधा केजरीवाल पे। वाईपी सिंघ ने कहा की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उलंघन करते हुए महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे अजित पवार ने बिना सार्वजनिक नीलामी के लवासा की 348 एकड़ जमीन लेक सिटी कोर्पोरेशन को 23 हजार रुपये प्रति वर्गफुट किराए पर 30 साल के लिए लिज़ पर देदी। इस कंपनी में शरद पवार की  बेटी सुप्रिया सुले और उनके पति सदानंद सुले के भी शेयर थे। यहा तक तो ठीक था लेकिन महोदय ने इस मुद्दे को छोड़ सीधा निसाना छोड़ा अरविंद केजरीवाल पर। सिंघ का आरोप है की केजरीवाल के पास यह सब सबुत  होने के बावजूद भी छुप्पी साधी। सिंघ यहाँ पे एक गलती कर रहे है अगर उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी तो वे भी चुप  क्यु रहे ? क्यों उन्होंने केजरीवाल ही इस मुद्दे को उठाये इस आस में चुप्पी साधी? आज किये इस खुलासे के पीछे दो कारण दिख रहे है एक तो केजरीवाल से पुराना हिसाब किताब निपटाना यानी उन्हे बदनाम करना या फिर केजरीवाल को मिल रही लोकप्रियता को मोड़ के खुद को इस लोकप्रियता की बारिश में भिगोना। खेर जो भी हो चलो इस बहाने भ्रष्टाचार तो बहार आया।  


वही एक और महोदया है अन्जलीजी। अन्जलीजी ने भले ही गडकरी की पोल खोलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो लेकिन उनके खिलाफ भी आरोप है की उनकी और गडकरी की नहीं बनी तो महोदया ने पाच साल पुराने बक्से में से जादुई जिन निकाला। मकसद भ्रष्टाचार या बदला जो भी हो भ्रष्टाचार तो सामने आ रहा है और देश की जनता रोज इस लोकप्रियता की बारीश में नहा ने या पैर भिगोने बाहर आ रहे लोगो के तमाशे  का  लुप्त उठा रही है। लेकिन कब तक? मुझे लगता है जब तक भ्रष्टाचार रहेगा ऐसी दबी आवाज़े चाहे मकसद कोई भी हो बाहर आती रहेगी।

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